India-pakistan partion | main region of partion | love story of edwina and nehru

PARTITION के बारे में आप अगर लोगो से पूछे गए तो तो लोगो को कई दिलचस्प कहानियो हीती है सुनाने को उनमे से ही एक फेमस कहानी है एक जहवरलाल, अली जिन्ना, और एडविना  माउन्ट बेटन को लेके -  ये तीनो एक ही कॉलेज में पढ़े थे ब्रिटैन में जिनका नाम था "हैरिश कॉलेज ऑफ़ लंदन " कहानी ये कहती है की इन तीनो के बिच में एक लव ट्राइंगल चलता था  एडविना माउन्ट बेटन में अपने हसबैंड लुइस माउन्ट बेटन को रेक़ुएस्ट  किया की पार्टीशन कर दो दोनों देश में ताकि दोनों ही " जहवालाल और जिन्ना " प्राइम मिनिस्टर बन सके  ये तो बहुत दिलचस्प कहानी है लकिन ये व्हाटसप पे फ़ॉरवर्ल्ड करने वाले मेसेज से कम नहीं है  | यानि की पूरी तरह से झूट है अगर आप थोड़ा सा सोचने चले तो आपको पता लगेगा की कितनी स्टुपिड कहानी है , जिन्ना ने अपनी लॉव की  पढ़ाई शुरू की थी   लिंकन मे साल 1882 में तब जहवरलाल मात्र तीन साल के थे और एडविना में तो पैदा तक नहीं हुई थी एडविना का जनम हुआ था 1901 में , जवाहरलाल में अपना पढ़ाई ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ कैंब्रिज में पढ़ाई  शुरू की थी 1907 में अभी तक तो एडविना कॉलेज गई भी नहीं थी |  कहानी बनाने के लिए ऐसी कई अफुआ है चलिए इस अफुआ को साइड में रखते हुए  बात करते है डॉक्युमेंटेड हिस्ट्री की, कि आखिर हुआ किया था | 

देश की पार्टीशन हुआ था 14 अगस्त 1947 को लकिन पार्टीशन  करने का डिसिशन  जो  जो है, वो इनसे कई महीने पहले ही लिया जा चूका था जैसे की 18 जुलाई को किंग ऑफ़  ब्रिटेन  ने पार्टीशन को Approve  किया था | इनसे पहले 5 जुलाई को ब्रिटिश पार्लियामेंट " इंडियन  इंडिपेंडेंट एक्ट " को अप्प्रूव किया था | लकिन इनसे पहले भी 3 जुलाई को लुइस माउन्ट बैटन ने पार्टीशन प्लेन को रेडियो पर घोसित किया था | इसे ही माउन्ट बैटन प्लेन कहा जाता है | अंत अंत तक  बस दो ही लीडर ही बचे थे जो डिसीजन के अगेंस्ट थे -" एक थे महात्मा गाँधी और दूसरा था खान अब्दुल ग़फ़्फ़ार खान बाकि कांग्रेस लीडर जैसे जहवाहरलाल 3 जुलाई को ही एक्सेप्ट कर लिया था | सरदार पटेल ने तो पहले से ही ये परिस्तिथिति को भाप लिया था | पार्टीशन के रीजन से ही गाँधी जी 1 अप्रैल 1997 को माउन्ट बैटन से मिलते है और पूरी जोर से कोशिश करते है की बटवारा है हो पाए | गाँधी जी इतना बिरुद्ध में थे की वे प्राइम मिनिस्टर का ऑफर भी जिन्ना को दे डाला | इसी बीच माउन्ट बैटन गए जहवरलाल के पास जवाहरलाल ने कहा उसे पहले भी ऑफर किया जा चूका है प्राइम मिनिस्टर के लिए लकिन वो नहीं माने | जब आखिरी बार ऑफर किया गया जिन्ना को तो वो लास्ट में भी ऑफर को ठुकरा दिया | ये सारी बाते माउन्ट बैटन को समझना मुश्किल हो रही थी क्यों की  वे मार्च 1947 को ही वाईस रॉय बने थे , जब वह पहली बार इंडिया आया था तो UK के प्राइम मिनिस्टर "सीमेंट एटली" ने कहा था की कोशिश करना बटवारा को रोकने के लिए। माउन्ट बैटन से पहले वाईस रॉय थे ARCHIBALD WAVELL जो की 1943 से लेके मार्च 1947 तक इंडिया के वाईस रॉय थे | दोस्तों आप जान के चौक जायेगे की वावेल नहीं चाहते थे की इंडिया के बटवारा हो | प्रॉब्लम शुरू  होती है ,इनसे पहले वाईस रॉय से यही थे एक्चुअली रियल प्रॉब्लम क्रियेटर आईये प्रॉब्लम को शुरू से शुरुआत करते है | 

Archibald Wavell Image

बहुत को लगता था की हिन्दू मुस्लिम कभी एक साथ नहीं रहते थे | हिन्दू मुस्लिम का कल्चर इतना अलग था की सब को यही लगता तह था की हिन्दू मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकता है | जो लोग ऐसा मानते थे कारन ये था की लोग सोचते थे की मुस्लिम राजा सरे बुरे थे | हिन्दू राजा HISTORICALLY  अच्छे राजा थे लकिन ये सब कुछ सच नहीं था दोस्तों  राजाओ के बीच जो वॉर होती थी वो सिर्फ और सिर्फ ताकत दिखाने और धन को बढ़ाने के लिए होती थी | और इस बात को साबित करने को बहुत सबूत है | लकिन अगर बात करे जनता का तो ऐसा था की हिन्दू -मुस्लिम का पर्व मानते थे और मुस्लिम -हिन्दू का  ईद मानते थे | जैसे की अकबर के दरबार में HOLI को ईद ए गुलाब  के नाम से पुकारते थे और रेड फोर्ट के पीछे बड़ा मेला भी लगता था | दिवाली को ये जश्न -चिराग के नाम के पुकारते थे और तो बड़ी धूम धाम से मानते भी थे | इसके अलावा "वज़ीद अली शाह " जो की अवध का राजा था , वे  कथक कली सीखे थे | अब बताइये आप कैसे कह सकते है की हिन्दू मुस्लिम एक नहीं रह सकते है | ऐसे ढेरो उदहारण मिल सकता है आपको की हिन्दू मुस्लिम में कितना यूनिटी था | लकिन आपको मिडिया ये सारी बाते कभी बताते ही नहीं | उन्हें तो सिर्फ नफरत फैलाना आता है | अब आपको लेके चलते है 1857 की क्रांति की ओर

Mugal Empire Holi Image

 ये भी एक शानदार उद्धरण था हिन्दू मुस्लिम का एकता का " रानी लक्ष्मी बाई , नाना साहेब , तात्या टोपे ,बेगम हसरत ,अनबर सिंह और वकत खान " इन सब ने साथ में लड़े थे और बहुदूर सह जफर को अपना कमांडर बनाया था | इन्ही के कारन ब्रिटिश कंपनी का राज ख़तम कुआ था और ब्रिटिश एम्पायर का शासन शुरू हो गया | रिवोल्ट 1857 से ब्रिटिश इतना घबड़ा गया था की अपना सत्ता चलने के लिए "डिवाइड एंड रूल्स " को हथियार बना के उपयोग करने लगे |  ब्रिटिश का डिवाइड और रूल्स को समझने के लिए हमें इंडियन नेशनल कांग्रेस की फाउंडेशन को समझना जरुरी है  |  कांग्रेस का स्थापना "एलन ऑक्टावियन हुमे" के द्वारा किया गया था | यही एक जवान थे जो 1857 की क्रांति की बरी गहरी से रिपोर्ट लिखी इन्होने बताया था की ब्रिटिश की क्रूरता के वजह से 1857 की क्रांति हुई थी | जिसके कारन इन्हे पद से बेदखल कर दिया गया था | इधर कांग्रेस का पॉलिटिकली हस्तछेप से ब्रिटिश खुश नहीं थे जो की ब्रिटिश चाहते थे की कांग्रेस पोलटिकल कार्य में दखल न दे | जिसके कारन  ब्रिटिश ने दो आदमी " सैयत अली खान और लिंग्विस्ट सिंह प्रशाद " को चुना कांग्रेस के प्रति बिरोध फ़ैलाने और लोगो के बिच कांग्रेस से नफरत करवाने को , यही दोनों ने  एंटी कांग्रेस मूवमेंट का शुरुआत की थी | और यही से शुरुआत हुई " Two Nation Theory

एंटी कांग्रेस के बाद  धीरे धीरे हिन्दू मुस्लिम का यूनिटी खोखला होते गए और हिन्दू मुस्लिम के बिच बहुत सरे बिबाद हुआ और मुस्लिम लीग का फार्मेशन हुआ इसका परिणाम जानते ही हो की क्या हुआ आगे चल के भारत को दो भागो में बात दिया गया |  😟😟 सालो ने बॉटा तो 

 







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